मकर संक्रांति को भारत के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। इसे बड़ी धूमधाम और धार्मित रीति-रिवाजों से मनाया जाता है। आज के मॉडर्न समाज में भी इसे बड़ी ही धूम से मनाया जाता है। इस त्योहार से हिंदुओं के नए साल की शुरुआत होती है।
अलग-अलग राज्यों मे अलग-अलग नामों से लोग इसे मनाते हैं। मूलरूप से यह किसानों का त्योहार है। जो अपनी फसल कटने के उत्साह में इसे मनाते हैं। यह सूर्य देवता का त्योहार है। इसी वजह से सूर्य के आने से त्योहार की शुरुआत होती है। इसी दिन से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। जिसके बाद से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति के बाद शादी, पूजा आदि के मुहूर्त निकलते हैं। इसे नई शुरुआत का त्योहार भी कहा जाता है।
भारत के हर राज्य में इसे उत्साह और धूम-धाम से मनाया जाता है। दिन में इस त्योहार के मौके पर पतंगें भी उड़ाई जाती हैं। इसी वजह से इसका एक नाम पंतग उड़ाने वाला त्योहार भी है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी इस त्योहार को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। जिसमें से एक है कि संक्रांति (उत्तरायण) के सूर्य का इंतजार करते हुए भीष्म पितामह ने अपनी देह को त्याग दिया था। वहीं क्षगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए भगवान सूर्य का महत्व बताते हैं। इसी वजह से मकर संक्रांति के मौके पर कई जगह भागवत पाठ का आयोजन किया जाता है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में अगर कोई शख्स दान करता है तो उसे अपने दान का सौ गुना फल मिलता है।
पुराणों में लिखा है कि मकर संक्रांति के दिन नहाना जरूर चाहिए। जो कोई इस दिन तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान नहीं करता है वो सात जन्मों के लिए बीमार और गरीब बन जाता है। स्थल पर जाकर जो देवताओं और अपने पितृ के नाम पर दान करते हैं उन्हें वो खुशी के साथ स्वीकार करते हैं।
देवीपुराण के अनुसार अकाल मौत से बचने के लिए इस दिन घर में दुर्गासप्तशी का पाठ करवाना चाहिए। इस साल 14 जनवरी 2019 को सोमवार का दिन पड़ रहा है।