विधि ने बताया कि यह भक्ति गीत उसकी मां संतोष ने रिठाल गांव में हुए सत्संग में सुना था और मां ने ही उसे गीत को लिख कर दिया था। बचपन से ही गाने का शौक था। उसने फरवरी 2016 में स्कूल की बाल सभा में गाना गाकर प्रिंसिपल जयपाल दहिया से 500 रुपये का इनाम हासिल किया था। म्यूजिक टीचर सोमेश जांगड़ा ने मेरे यार सुदामा रै--गीत को मार्च में रीमिक्स सांग का रूप देकर रियाज करवाया। स्कूल की बच्चियों ने 12 अप्रैल 2016 को पहली बार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के टेगौर सभागार में यह रीमिक्स सांग गाया था। गीत को सुनकर गीता मर्मज्ञ स्वामी ज्ञानानंद ने नैतिक शिक्षा पुस्तक के विमोचन अवसर पर इस गीत को सुनाने का निमंत्रण दिया। गीत सुनकर कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने विधि और साथी बच्चियों को 31000 रुपये का पुरस्कार दिया।गीत को गाने वाली लड़कियां है अलग-अलग गांव से
गीत की मुख्य गायिका विधि ने बताया कि वह घिलौर गांव से और गीत में साथ देने वाली ईशा रूखी, शीतल, मनीषा और मुस्कान जसिया एवं रिंकू सांघी गांव की रहने वाली है। विधि नौवीं, ईशा, मनीषा, मुस्कान, रिंकू 10वीं और शीतल 11वीं कक्षा में पढ़ रही है।खेती- बाड़ी करते है छात्राओं के परिजन
विधि और मनीषा ने बताया कि उनके परिवार वाले खेती- बाड़ी करते हैं। इसी से गुजर-बसर चलती है। ईशा के पिता गांव में ही किरयाने की दुकान चलाते हैं। मुस्कान के पिता आर्मी में हैं तो रिकूं के पिता गांव में ही मिस्त्री का काम करते हैं। स्कूल में करीब 31 गांवों के 1800 बच्चे पढ़ते हैं। तकरीबन सभी बच्चे प्रतिभा के धनी हैं। विधि, रिंकू, ईशा, शीतल, मनीषा और मुस्कान के इस गीत ने सभी का दिल जीत लिया है। छात्राओं ने स्कूल के साथ गांव, माता- पिता और जिले का नाम भी रोशन किया है।
- जयपाल दहिया, प्रिंसिपल, डॉ. स्वरूप सिंह गवर्नमेंट मॉडल संस्कृति स्कूल सांघी।
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